घर जलने का दर्द
सभी को होता है
सुनकर
हर दिल रोता है
घर
चाहे रीता का हो
सीता का
या फिर माया का
सच सुनने की ताकत
सबमें नहीं होती
क्योंकि सच
नुकीला होता है
सच
तीखा होता है
कड़वा होता है
रीता ने सच कहा
माया को चुभ गया
वैसे बिना जेल गए
सभी बहुत कुछ कहते हैं
लेकिन एक बार गए
फिर
नरम पड़ जाते हैं
पहले वरुण
अब रीता
वरुण भूल गए
धार्मिक कट्टरता
रीता ने कहा
माया से नहीं है
जातिगत लड़ाई
लेकिन
इतना तो है
घर जलने का दर्द
सभी को होता है
चाहे रीता हो
सीता हो
या हो माया
आज रीता रोई
भले आंसू न दिखे हों
कल सीता...गीता
फिर माया का नंबर भी
कभी तो आएगा
Mohalla Live
-
Mohalla Live
------------------------------
गाली-मुक्त सिनेमा में आ पाएगा पूरा समाज?
Posted: 24 Jan 2015 12:35 AM PST
सिनेमा समाज की कहानी कहता है और...
10 वर्ष पहले
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें