आज तकरीबन हर बैंक के कामकाज में एटीएम की बड़ी भूमिका है....एटीएम ने बैंकों की भीड़ को कम करने में काफी मदद की है....लेकिन जब एटीएम से निकलने लगे नकली लोट...तब...हम...आप क्या करें....जी हां ये मामला इलाहाबाद के सिविल लाइन्स इलाके की है....जहां के कर्नाटक बैंक के एटीएम से एक व्यक्ति को मिला पांच सौ रुपए का एक नकली नोट......ये मामला......सीधे सीधे बैंक और ग्राहक के बीच विश्वास का है...वैसे भी विश्वास की डोर बड़ी पतली होती है....कमजोर होती है....इलाहाबाद के एसपी राय ने एटीएम से पैसा निकाला...और जब वो अपने ऑफिस पहुंचे तब उन्हें इसका पता चला ...कि जो नोट उनके पास है वो नकली है......जाहिर है एटीएम से निकला नोट नकली तभी होगा...जब मशीन में डाला गया होगा.....एस पी राय देर शाम तक बैंक में बैठे रहे...बैंक अधिकारी ये मानने को कत्तई तैयार नहीं था कि उनके एटीएम से नकली नोट निकला है.....जाहिर है ये मानना..न मानना उनके हाथ में है लेकिन इस बात की सच्चाई का पता कैसे चलेगा.....या तो बैंक तत्काल अपने एटीएम के सभी नोटों को जांच कराता.....और जांच पड़ताल करता कि कहीं अब भी तो एक या कुछ नकली नोट नहीं हैं....अगर नहीं निकलता तो बैंक ये कह सकता था कि जो शख्स नकली नोट लेकर आया है वो गलत है......लेकिन बैंक ने ऐसी कोई भी कार्रवाई नहीं की...अति आत्मविश्वास भी हो सकता है.
बैंक अधिकारी ने अपने ग्राहक से ये भी कहा कि आप एटीएम से पैसे निकालने के बाद कई जगह घुमकर आ रहे हैं इसलिए भी ये कहना मुश्किल है कि आपने जो पैसे एटीएम से निकाले थे....ये पांच सौ का नकली नोट वहीं से मिला है....लेकिन ये कहते वक्त बैंक अफसर ये भूल गया कि एटीएम से पैसे निकालने के बाद हर कोई विश्वास के साथ घर जाता है...बाजार जाता है....अपने कामकाज में लग जाता है....ऐसा कोई नियम नहीं कि एटीएम से पैसे निकालो ....तत्काल बैंक जाओ...चेक कराओ...कि कहीं नोट नकली तो नहीं....अगर ऐसा होता तो एटीएम की जरुरत ही क्या थी.....बैंकों में थोड़ी भीड़ ही तो होती...नकली नोट मिलने की गुंजाईश तो कम ही थी..... इसलिए बैंक अफसरों का ये कहना बिल्कुल ही गलत है....अगर कोई ग्राहक इमानदारी से कोई बात कहता है तो बैंक को चाहिए कि वो भी पूरी इमानदारी से मामले की पड़ताल करे...क्योंकि जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया.....आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम से नकली नोट निकल सकता है तो दूसरे बैंकों से क्यों नहीं.......यहां एक दलील ये भी है कि अब नकली और असली नोटों में फर्क इतना कम हो गया है कि बैंक अधिकारी भी इसके झांसे में आ सकते हैं...ख़ासकर एक एक नोट की चेकिंग ...जांच पड़ताल की अगर बात की जाए........मैं ऐसे कई मामलों को जानता हूं ...जिसमें लोगों को एटीएम से नकली नोट मिले और उन्होंने ये सोचकर कि कौन पुलिस...कचहरी के लफड़े में पड़े ....इसकी शिकायत करनी भी जरुरी नहीं समझी........एक से ज्यादा मामलों में बैंक अधिकारियों ने नकली नोट बदलकर ग्राहकों को चलता कर दिया.....लेकिन मेरी हर किसी से गुजारिश है कि अगर आपको कभी किसी एटीएम से नकली नोट मिले तो इसकी पुलिस में रिपोर्ट जरुर दर्ज कराएं....जिससे बैंक अफसरों को ये पता चल सके उनके ग्राहक इमानदार हैं.....और अपने अधिकारों के प्रति जागरुक भी.......क्योंकि नोट नकली हो सकते हैं पर बैंकों और ग्राहकों के बीच का विश्वास नकली नहीं...वो तो असली है....बिल्कुल असली........

3 टिप्पणियाँ:

saarthak aur sateek aalekh
badhaai !

बैंक वालों का खेल है सब...

सच ही तो कहा है आपने......ये तो बैंक वालो की सरासर दादागिरी है. आर.वी.आई .को कुछ करना होगा.