नौकरशाही पर नकेल
सियासत का खेल
हर तरफ रेलमपेल
क्या करेंगे ?
बातें बदलाव की
काम करेंगे घाव की
कीमत हर दांव की
क्या करेंगे
होठों पर मीठी मुस्कान
दिल नहीं, खाली दुकान
रिश्ते भी हो गए सामान
क्या करेंगे
नहीं किसी की फिक्र
बस बात बात में जिक्र
लगाएंगे सभी के चित्र
क्या करेंगे
रिश्ते रिसने लगे
बुड्ढे भी सीखने लगे
घुन संग गेहूं पिसने लगे
क्या करेंगे
अब नहीं किसी के पास वक्त
हट्टा कट्टा हो या निःशक्त
सब अपने आप में मस्त
क्या करेंगे

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