सच के चेहरे
रुखे सूखे
झुठ के चेहरे
दप दप करते
सच के चेहरे
मुरझाए से
झुठ को देखो
सदा चमकते
सच का क्या है
जो भी है
बस सामने है
आईने की तरह
झुठ की तो
बस पूछो ही मत
दिखता कुछ है
होता है कुछ और
एक चेहरे पर इतने चेहरे
कोई पहचान नहीं सकता
कोई जान नहीं सकता
कुछ तो दिखते
सच की भांति
मिलते जुलते
ऐसे जैसे
बस सच ही हों

2 टिप्पणियाँ:

सच में बहुत झूठा होता है ये सच

सही कहा आपने कहा सर, सच की जीत वाली बात कहानियों में जिंदा रह गई है। अब तो सच बेपैर हो गया है लेकिन झूठ के सौ पैर हैं