मैं जिस रुट की बस से रोज ऑफिस आता हूं...उसमें अमूमन कई चेहरे जाने पहचाने से लगते हैं.....या यूं कहें तो लगने लगे हैं...रोज उतरने चढ़ने भर का रिश्ता है...कोई किसी को देखकर मुस्कुराता भी नहीं ...बस देखता है...सोचता है....अच्छा आज भी...ऐसे ही एक चेहरा है एक लड़की का.....मॉडर्न सी लड़की का.....चेहरे पर काला चश्मा....गहरे लिपस्टिक रंगे होंठ....हाथ में दो मोबाईल फोन....कान में लगा ईयरफोन.....लड़की मोटी सी है पर हर रोज नए लड़के के साथ.....कोई भी हो....मुझे क्या.....कई बार लड़कों के साथ खुसर-फुसर करते देखा..सट-सटाकर....मुझे क्या.....उस दिन अचानक वो चिल्लाने लगी.....समझ क्या रखा है.....शरीफ लड़कियों को छेड़ते शर्म नहीं आती...ठीक से बैठते नहीं.....पीछे मुड़कर देखा...वही लड़की....नए लड़के के साथ...लड़का चुप था....क्या बोलता......लड़की चिल्लाए जा रही थी......एक यात्री पर.....जिसका पैर जरा छू गया था उसके पैर से....बस्स......अब शरीफ (?) लड़की है तो चिल्लाएगी ही......फिर शरीफ लड़की चुप हो गई.....लड़के से बातचीत में गुम हो गई.....शरीफ जो ठहरी.....मेरा स्टॉप आया...मैं उतर गया......

4 टिप्पणियाँ:

सर इसका मतलब ये तो नहीं कि अगर कोई लड़की रोज किसी नए लड़के के साथ है तो कुछ न कुछ गलत ही होगा..हां अगर वो रोज़ किसी नये लड़के जो कि उसके साथ न आते हो केवल बस में दोस्त बन जाते हो उस वक्त वो तथाकथित शरीफ हो जाती है....

bada ghumavdar mamla hai bhai 1

बेनामी ने कहा…

ladki ladke ke saath ghoom bhi nahi sakti?

अरे इस तरह की पोस्ट न लिखा करें नहीं तो लोग आप पर स्त्री पीड़ित, सेक्स कुंठित आदि तमाम तरह के आरोप न लगा दें। भुक्तभोगी हूं मैं