फिर लगेगा नाइट कर्फ्यू
मगर उनका क्या 
जो रात में ठेले लगाते हैं
खोमचों में बेचते हैं सपने
अपने बच्चों के
जो बुनते हैं ख्वाब
दिन के उजाले में
खर्राटों के बीच

उनका भी क्या
जिन्हें रात में
मटरगश्ती की  
आदत है..खानदानी..पुरानी
जिस शहर में 
रात की रौनक होगी
बदल देंगे शहर

सोचता कौन है
रात तो रात होती है
गरीबों की 
फुटपाथ पर
अमीरों की..सड़कों पर
या किसी होटल में
पब में...बार में
या फिर ....आगोश में

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