गलतियां इन्सान की, बेवजह नहर बदनाम हो गई
देखते ही देखते, हादसा हुआ... वो श्मशान हो गई
गलतियां इन्सान की, बेवजह नहर बदनाम हो गई
वो तो बस थी, रोज मंजिल तक पहुंचना काम था
वक्त ने करवट क्या बदली, मौत का सामान हो गई
गलतियां इन्सान की, बेवजह नहर बदनाम हो गई
टूट गए रिश्तों के डोर, दम निकले अरमानों के
जिंदगी की कोशिशें, मौत के सामने नाकाम हो गई
गलतियां इन्सान की, बेवजह नहर बदनाम हो गई
अपनों ने सपनों को खोया, बूढ़ा बाप भी कितना रोया
ढूंढते अपनों की लाशें, सुबह से शाम हो गई
गलतियां इन्सान की, बेवजह नहर बदनाम हो गई

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