कल की फिक्र न करना कोई, कल तो आनी जानी है
जो भी है, बस आज है, जी ले, कल की अलग कहानी है

बीत गया एक साल समूचा, बच गई सिर्फ निशानी है
अब तो आए नए साल से, रिश्ते नई निभानी है 
कल की फिक्र न करना कोई, कल तो आनी जानी है

उसके शिकवे, गिले किसी के, दिल पर लेकर क्या जीना
किसी के खातिर कुछ कर जाओ, दिल को ये समझानी है
कल की फिक्र न करना कोई, कल तो आनी जानी है

इक इक खुशियां, इक मुस्कानें, चलो पिरोएं धागों में
बीच बीच में, दर्द-ओ-ग़म, की कलियां कहीं सजानी है
कल की फिक्र न करना कोई, कल तो आनी जानी है

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