बस में काफी भीड़ थी...अपने पैरों पर खड़ा होना भी मुश्किल लग रहा था....कोई सीट खाली होती तो लोग उस पर बैठने के लिए आपाधापी करने लगते...तभी एक सीट खाली हुई....एक बुजुर्ग ..जो सीट के करीब खड़े थे...ने आवाज लगाई...बहन जी आप बैठ जाओ ...आपको दिक्कत हो रही है....आ जाओ...जल्दी.....महिला भी लपककर आई..और सीट पर बैठ गई....अगले स्टॉप पर भी एक सज्जन उतरे....बुजुर्ग व्यक्ति ने वहां भी खुद बैठना मुनासिब नहीं समझा और एक दूसरी महिला को सीट पर बैठने के लिए जगह छोड़ दिया......थोड़ी देर बाद आए एक स्टॉप पर एक साहब सीट छोड़कर नीचे उतरने लगे...बुजुर्ग व्यक्ति को लगभग धकियाकर एक युवक आगे बढ़ने की कोशिश करने लगा....उस वृद्ध व्यक्ति ने उसे समझाया....तुम्हारी उम्र ही क्या है...तुम तो खड़े रह सकते हो...जवान हो....मुझे बैठने दो....दस बारह किलोमीटर का और सफर है.....अरे बाबा...मैं आपकी तरह परोपकारी नहीं...परोपकारी बनूंगा तो रोज खड़े ही सफर करना पड़ेगा....और आगे बढ़कर वो युवक धम्म से सीट पर विराजमान हो गया.....बुजुर्गवार ने कुछ नहीं कहा....सोचने लगे...ये अंतर शायद पीढ़ी का है.....और कुछ संस्कार का भी.....
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 वर्ष पहले
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