सच के चेहरे
रुखे सूखे
झुठ के चेहरे
दप दप करते
सच के चेहरे
मुरझाए से
झुठ को देखो
सदा चमकते
सच का क्या है
जो भी है
बस सामने है
आईने की तरह
झुठ की तो
बस पूछो ही मत
दिखता कुछ है
होता है कुछ और
एक चेहरे पर इतने चेहरे
कोई पहचान नहीं सकता
कोई जान नहीं सकता
कुछ तो दिखते
सच की भांति
मिलते जुलते
ऐसे जैसे
बस सच ही हों
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 वर्ष पहले
2 टिप्पणियाँ:
सच में बहुत झूठा होता है ये सच
सही कहा आपने कहा सर, सच की जीत वाली बात कहानियों में जिंदा रह गई है। अब तो सच बेपैर हो गया है लेकिन झूठ के सौ पैर हैं
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