अब तो हर शख्स की
नज़रों में झलकता है फरेब
कोई अपना हो या हो गैर
करें किसपे यकीं
हर चेहरे पे
नज़र आती है
मुस्कुराहट झुठी
ठहाके
खोखले से लगते हैं
बस
सच लगता है
तो
आंखों में आंसू
लेकिन
हर कोई
हर किसी के सामने
रोता भी नहीं
हंसने की कोशिश में
निकल आते हैं
कमबख़्त आंसू
किसी के दुख-दर्द में
संवेदनाएं
हो गई है
दिखावे की चीज
लोग भरे गले से
कहते तो
बहुत कुछ हैं मगर
दूर जाते ही
हंसते हैं
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 वर्ष पहले
1 टिप्पणियाँ:
darpan dikhati anupam kavita
waah
waah
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