पर्व किस बात का
गर्व किस बात का
चुनना जब उन्हें जो
जो कुछ दे नहीं सकते
ले सकते हैं हमारा वोट
चूसने को हमारा ही खून
इतना तामझाम क्यों
कहने को काम क्यों
चुनना जब उनको है
जो जनता के नाम पर
जनता से लूटकर
अपना पॉकेट भरें
क्यों करें बर्बाद हम
रोटियों का स्वाद हम
वोट देने के लिए
कतार में खड़े रहे
अपराधियों को वोट दें?
आओ एक नोट दें
और उनसे ये कहें
मत लड़ो तुम चुनाव
घर बैठो,रोटी खाओ
शिक्षित हैं बेरोजगार
बनाओ उनको उम्मीदवार
जिसकी एक सोच हो
तब मनाऐंगें सभी
मिलकर चुनाव पर्व
लेकिन तबतक भला
पर्व किस बात का
गर्व किस बात का
चुनना जब उन्हें जो
जो कुछ दे नहीं सकते
ले सकते हैं हमारा वोट
चूसने को हमारा ही खून
Mohalla Live
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Mohalla Live
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जाहिलों पर क्या कलम खराब करना!
Posted: 07 Jan 2016 03:37 AM PST
➧ *नदीम एस अख्तर*
मित्रगण कह रहे हैं कि...
8 वर्ष पहले
3 टिप्पणियाँ:
बहुत अच्छी रचना
लेकिन कोई समझे तो .....
मेरा मतलब रचना से नहीं था। रचना सुगम है। कोई समझता ही नहीं है कि चुनाव एक फिजूलखर्ची के अलावा कुछ भी नहीं है। बस हम इस बात का चुनाव करते हैं कि आने वाले पांच सालों में अपने खून का कटोरा किसके आगे रखेंगे।
उत्तम ...अति उत्तम
आदर्श भाई की बात सही है "कोई तो समझे ....
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