भारत भी गजब का देश है...जहां एक ही दिन कहीं कोई नेतागिरी नहीं करने का उपदेश देता है तो कहीं मिल जाता है सेना में स्थायी रूप से काम करने का मौका...लंबे समय से महिलाओं को पैर की जूती, अबला तेरी यही कहानी .... और न जाने क्या क्या कहने वाला पुरुष प्रधान समाज अपने बराबरी में खड़ा होने देने से मना कर रहा है...मेरा मतलब सभी पुरुषों से नहीं बल्कि उन पुरुषों से है जिन्हें शायद अपने आप पर कम यकीन है....कि वो महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद कहीं हाशिए पर न आ जाएं....नेता तो नेता....अब धर्म-कर्म करने वाले तथाकथित धर्मगुरू ये उपदेश देने लगे कि महिलाओं को अच्छे नेता पैदा करने चाहिए न कि खुद नेतागिरी करनी चाहिए....उन्हें शायद इतना भी नहीं मालुम कि राजनीति किसे करनी चाहिए और किसे नहीं ये बताना भी धर्मगुरूओं का काम तो नहीं.....रही बात महिलाओं के राजनीति करने की....तो कुछ कहने से पहले ईतिहास पढ़ लें...देश-दुनिया को समझ लें तो बेहतर हो....कूपमंडूक बनकर सिर्फ उपदेश देना हास्यास्पद होता है.....बेगम खालिदा जिया,मरहुम बेनजीर भुट्टो, इंदिरा गांधी को अगर वो भूल गए हों तो ऐसे भलक्कड़ धर्मगुरूओं को क्या कहना....और फिर उनकी बातों को तवज्जो क्या देना.....इस कान से सुनिए...उस कान से निकाल दीजिए.....क्योंकि ये धर्मगुरु कतई नहीं...ये धर्म की आड़ में राजनीति करते हैं....और उन्हें ये खतरा भी लगने लगा है कि कहीं महिलाओं के आ जाने से उनकी दुकानदारी भी न फीकी पड़ जाय......

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