लगता है राष्ट्र से बड़ा महाराष्ट्र हो गया है...और उससे भी बड़ा मुंबई....क्योंकि आज तकरीबन हर राजनीतिक पार्टियां इसी बारे में बात कर रही हैं.....पार्टी कोई भी हो.....राष्ट्रीय स्तर की कांग्रेस...या फिर राज्य स्तर की मनसे...या फिर बीजेपी की सहयोगी रही शिव सेना...किसी को राष्ट्र नहीं दिख रहा....सबको दिख रहा है वोट...सबको दिख रही है सत्ता.....राहुल गांधी को उत्तर भारतीयों पर हो रही ज्यादती की चिंता तब आई जब वो बिहार दौरे पर आए...अब बिहार के लोगों को अपने वश में करने के लिए कुछ तो कहना था....सो कह दिया....राहुल गांधी कांग्रेस के बड़े नेता हैं...दांव देखकर पत्ते खोलते हैं.....बाकी की बात ही कुछ और है.....मनसे...यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मन से मराठियों की पक्षधर है....शिव सेना की बात मत कीजिए...नाम शिव का....काम किसी दानव का....क्योंकि शिव की नजर में व्यक्ति के बीच भेदभाव कहां होता है...वैसे शिव के साथ सेना की जरुरत भी बेमानी सी लगती है क्योंकि शिव तो खुद ही सब कुछ कर सकने की क्षमता रखते थे........जहां तक एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की बात है तो उसने तो बस नाम के लिए राष्ट्रवादी नां जोड़ रखा है.....बाकी कहीं उसका वजूद है ही नहीं तो नाम में क्या रखा है......हां तो मैं बात कर रहा था राहुल की राह की.....भारत की खोज में निकले राहुल के पांव बिहार पर भी पड़ ही गए.....लेकिन इतने देर से उत्तर भारतीयों की महत्ता बखान करने से क्या फायदा.....जब उनकी ही सरकार ने जब गैर मराठी कानून बनाई थी तब उनकी बोलती बंद क्यों थी.....जनाब भारत की खोज करने नहीं...भारत की राजनीति समझने निकले हैं...जिससे प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा जा सके...लेकिन राहुल जैसे बड़े नेताओं को पता नहीं कि ये जनता है सब जानती है...आप उसे बेवकूफ नहीं बना सकते.....चिदम्बरम ने थोड़ी बहुत हिम्मत दिखाई लेकिन लगता है वो भी दूरदर्शी हैं...बिहार में होने वाले चुनावों की याद लगता है उन्हें भी आ गई है......जो भी हो...आज कोई ,खासकर नेता, समाज के बारे में नहीं सोचता.....आम आदमी के बारे में नहीं सोचता...क्योंकि उसकी नजर होती है वोटों पर....सीटों पर.....सत्ता पर.....और इसके लिए उसकी आवाज उसी तरह बदल जाती है जैसे अमेरिकी नेताओं की...जो भारत में कुछ बोलते हैं और पाकिस्तान पहुंचते ही कुछ और बोलने लगते हैं......मैं दावे के साथ कहता हूं कि अगर निकट भविष्य में राहुल गांधी का मुंबई या महाराष्ट्र का दौरा हुआ तो उनकी आवाज बदल जाएगी या फिर बिहार में कहे गए शब्दों के अर्थ...उनके अनुसार....क्योंकि बिहार अनिश्चित है और महाराष्ट्र में उनकी सरकार विराजमान है सत्ता के पुष्पक विमान पर...........

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