फुर्सत के क्षणों में
जीता हूं बीते दिन
याद करता हूं
वो गुजरे पल
जो आज नहीं
बन चुके हैं कल
जिसमें नहीं था
वर्तमान सा कोलाहल
सबकुछ शांत था
न कोई चिंता थी
न फिक्र
सिर्फ वर्तमान की
बजती थी पायल
कभी किसी की
नहीं शिकायत
कभी किसी से
नहीं हुआ भय
जो चाहा
कर लिया
बस
साथ रहा मित्रदल
अच्छी बातों पर
हंसते थे
बुरा लगा तो
हो गए घायल
फुर्सत के क्षणों में
मैं करता हूं
याद गुजरे पल

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