आंखे किसी से मिलने को
बेताब रहती है
किसी से कतराती हैं
किसी से मिलकर
मुस्कुराती हैं
तो किसी को देखकर
आता है गुस्सा उनको
आंखें
कभी रोती हैं
कभी हंसती हैं
कभी दोनों ही हालातों में
झर झर बहती हैं
आंखें
शरमाती भी है
कभी ढीठ बन जाती हैं
कभी - कभी
अपने किए पर पछताती हैं
आंखें
कभी फिसलती हैं
कभी झुक जाती है
आंखें सूख जाती हैं
कभी गीली हो जाती हैं
आंखे
कभी बोलती हैं
कभी खामोश रहती हैं
कभी
निःशब्द दिखती हैं
ये आंखे

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