इसमें कोई संदेह नहीं कि बिहार में पर्यटन संभावनाओं को आजादी के बाद से आजतक किसी सरकार ने तवज्जो नहीं दी....बदहाली कापर्याय बने बिहार में वो सबकुछ है जिससे किसी राज्य का उत्तरोत्तर विकास हो सकता है.....एक बड़ी जनसंख्या,उर्वर भूमि,पर्याप्त जल संसाधन ( अगर कोई उचित प्रबंधन न करे तो प्रकृति को दोष देना बेकार है), अत्यंत महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल....लेकिन गंदी राजनीति और राजनेताओं का शिकार बने इस राज्य में आजतक विकास का कोई कार्य हुआ ही नहीं....और जो कुछ हुआ भी वो सिर्फ कमीशनखोरी,भ्रष्टाचार के नाम पर.....बिहार में गया, बोधगया, वैशाली, राजगीर, पावापुरी, नालंदा, विक्रमशिला, पटना साहिब जैसे न जाने कितने पर्यटन स्थल हैं...जो अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण हैं...लेकिन इन जगहों पर पर्टकों की सुविधाओं के नाम मुलभूत सुविधाओं का अभाव है....बावजूद इसके पर्यटक आते हैं...और आ रहे हैं.....जाहिर है अगर पर्यटन स्थलों के विकास की ओर सरकार पर्याप्त ध्यान दे...मुलभूत सुविधाओं का विकास करे.....कानून-व्यवस्था की स्थिति पर कोई समझौता न करे...बिहार ...विशव का पर्यटन विहार बन सकता है.....बोधगया की बात करें तो गया रेलवे स्टेशन अभी भी विकास की बाट जोह रहा है....स्टेशन पर उतरते ही पर्यटक एक हाथ अपने नाक पर रख लेता है.....ये शब्द काफी कुछ कहते हैं..... लोग गया को गंदगी का पर्याय मानने लगे हैं.....यहां न सरकार का चेहरा दिखता है....न नगर निगम का.....न प्रशासन का....रेलवे हो या स्थानीय.....लगता है सबकुछ खत्म हो चुका है.....बस शहर में लोग हैं...सिस्टम तो कब का मर चुका है.....कमोबेश यही स्थिति बिहार के हर जिले में स्थित पर्यटन स्थल की है....बावजूद इसके यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है....मंदी के इस दौर में भी जहां दूसरे राज्यों ...देशों में पर्यटकों की संख्या घट रही है या स्थिर है.....वहीं बिहार में पंद्रह फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है.....जो इस बात का प्रतीक है कि अगर हम बिहार आने वाले पर्यटकों को पर्याप्त सुविधा मुहैय्या कराएं....तो राज्य में पर्यटन उद्योग राजस्व संग्रह में सरकार को काफी मदद कर सकता है......

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