एक विधायक लोकतंत्र के सबसे बड़े कहे जाने वाले इस पर्व के मौके पर खूनखराबा की धमकियां दे....वोट न देने पर मतदान के अगले दिन का सुरज न देखने की खुलेआम धमकी दे..... .वो भी चुनाव आयोग की सख़्ती के नाम पर....और फिर अधिकारी ये बयान दे कि उन्हें पूरे मामले की जानकारी नहीं है... मामले की जांच के बाद जो भी होगा...कार्रवाई की जाएगी.....लोकतंत्र का मजाक नहीं तो और क्या है....टीवी चैनलों पर उस विधायक की करतूत एक बार नहीं कई बार दिखाई गई.....करोड़ों लोगों (प्रजा) ने देखा....लेकिन आयोग जबतक नहीं देखे...अधिकारी जबतक नहीं देखें तबतक किसी पर कोई कार्रवाई कैसे कर सकते हैं....और वो जब देखना चाहेंगे तभी तो देखेंगे.....क्योंकि उन्हें उन्हीं राजनेताओं के बीच रहकर काम करना है.....उनके तलुए चाटने हैं.....चुनाव का मौसम है....चुनाव आयोग साथ है.....लेकिन चुनाव के बाद वही विधायक...वही एमपी उनके माई बाप होते हैं.....इसलिए बेवजह उनसे कोई दुश्मनी क्यों मोल ले.....जी हां...यही वजह है कि आज लोकतंत्र कमजोर हो रहा है.....और गुंडा तंत्र मजबूत....जब अधिकारी डरपोक हो जाएं...कायर हो जाएं तब वे सबसे पहले अपनी रक्षा की सोचता है.....जनता की कभी नहीं....कभी सोचता भी है तो बस दिखावे के लिए......यूपी के इस विधायक की करतूत.........तकरीबन सभी खबरिया चैनलों ने दिखाई.....एक एक शब्द लोकतंत्र यानी जम्हूरियत के कपड़े उतार रहा था...नंगा कर रहा था.....बलात्कार कर रहा था....लेकिन चुनाव आयोग को इससे क्या ...जम्हूरियत जाए भाड़ में.....तेल लेने....उसका काम तो बस चुनाव करवाना है.....आचार संहिता उल्लंघन के नाम पर नोटिस जारी करना है.....मामला दर्ज़ कराना है....अफसरों को चेतावनी देना है......और ये सब तभी तक हो रहा है जबतक जनता जागती नहीं.....उसका अहम जागता नहीं...जिस दिन जग जाएगा.....ये अफसर ...ये विधायक दुम दमाकर भागते दिखाई देंगे.......वर्ना मजाल कि एक अदना सा विधायक ...जो जनता की भलाई के लिए चुना जाता है ..खुलेआम एक मंच से जनता को ही धमकी दे....जान से मारने की धमकी.....और प्रशासन नपुंसक की तरह देखता रहे......ऐ दरोगा जी....जरा इधर आईए.....वो दारोगा भी क्या करे.....जब एसपी -डीएम सरीखे बड़े अफसर एमएलए-एमपी के पास अपने ट्रांसफर पोस्टिंग की जुगत लगाऐंगे तब बेचारके दारोगा की क्या औकात रह जाएगी.......वो तो दारोगा है इसलिए कि उसके वदन पर वर्दी है....टेंट में रिवॉल्वर है.....न हो तो एक (कोई संबोधन न देना ही बेहतर है) ......के बराबर है......तो ये है प्रजातंत्र की हकीकत...गांधी नेहरु के सपनों की हकीकत.....आप भी देखिए...हम भी देखेंगे....कि प्रशासन....चुनाव आयोग उस विधायक के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है.....अव्वल तो सबूत ही नहीं मिलेगा.....मेरा दावा है मिलेगा ही नहीं .....अगर मिला भी तो तकनीकी पत्राचार...सवाल जवाब के चक्कर में ...नोटिस-जवाब ...फिर नोटिस ....यानी ले देकर ढाक के तीन पात.....नेताजी चकाचक...जनता....क्यों दुश्मनी ले जब सरकार उनकी ...प्रशासन उनका.....दारोगा उनका.....बंदूक उनकी....निशाना उनका.......सबूत जाए तेल लेने.......और लोकतंत्र ......किसी पोखरे में गिड़गिड़ा रहा है....

2 टिप्पणियाँ:

लचर कानून व्यवस्था, इधर-उधर से उठाया हुआ संविधान इससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं सकता। गुड्डू पंडित से बड़े-बड़े दिग्गज बैठे हैं अभी।


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सर कैसा चल रहा है नाइट शिफ्ट में काम....
प्याले पर जाकर टिप्पणी करना मत भूलना, लेख के बारे में भी और फॉरमेट के बारे में भी।
गुड नाइट