भाईयों और बहनों...दहेज समाज का वो दावन है...जो पूरे परिवार को खा जाता है...समाज को खोखला बना देता है....आज आप लेते हैं...कल देना पड़ता है....और अगर आप दे रहे हैं तो कल लेने के लिए मन लालायित रहता है....उपायुक्त महोदय के इस भाषण पर जोरदार तालियां तालियां बजी....सेमिनार में वैसे तो साहब कम ही जाते हैं...पर ना जाने क्यों इस सेमिनार के लिए मना नहीं कर सके....एक कारण ये भी था कि विभागीय मंत्री की धर्मपत्नी जी का एनजीओ इसे आयोजित कर रहा है.....लेकिन सेमिनार होते होते शाम हो गई....और साहब को घर जाने की जल्दी सताने लगी...अरे...रघु...गाड़ी तेज चलाओ...अंधेरा हो रहा है.......करीब आधे घंटे में घर आ गया....साहब गाड़ी से उतरे ...घर में दाखिल होते ही पूछा....दिल्ली से कोई जवाब आया या नहीं......
कहां...दिल्ली से फोन आया था...कह रहे थे ..आप लोग बड़े लोग हैं....लाख दो लाख आपके हाथ का मैल है....लेकिन फिलहाल हाथ तंग है नहीं तो मना नहीं करते .........मेमसाहब ने जवाब दिया.......जवाब सुनते ही साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा...तो रखें अपनी बेटी को अपने ही घर....मेरा बेटा भी कोई खैरात नहीं.....लाखों कमाता है महीने में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है.....पांच लाख की गाड़ी नहीं दे सकते तो हम भी नहीं विशाल को दिल्ली जाने से मना कर देंगे....साल दो साल में दिमाग ठिकाने आ जाएगा.....मेरे बेटे के लिए लड़कियों की लाईन लग जाएगी.....

1 टिप्पणियाँ:

वाकई एक गंभीर भाव वाली बेहतरीन पोस्ट